जकात: परिभाषा, हुक्म, निसाब, हकदार और प्रमाण (Zakat: Definition, Rulings, Nisab, Beneficiaries & Evidences)* *✒️ मौ. मुबारक*
*जकात: परिभाषा, हुक्म, निसाब, हकदार और प्रमाण (Zakat: Definition, Rulings, Nisab, Beneficiaries & Evidences)*
*✒️ मौ. मुबारक*
*1. जकात की परिभाषा (Definition of Zakat)*
"जकात" शब्द अरबी भाषा में "पवित्रता" (Purification), "वृद्धि" (Growth) और "बरकत" (Blessing) के अर्थ में आता है।
शरीअत की परिभाषा में:
*"अपने निर्धारित माल में से, निर्धारित मात्रा को, निर्धारित व्यक्तियों को, निर्धारित समय पर, अल्लाह की खुशी के लिए देना जकात कहलाता है।"*
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*2. जकात का हुक्म (Ruling on Zakat)*
जकात इस्लाम के बुनियादी स्तंभों (Pillars of Islam) में से एक है और हर साहिबे निसाब (Wealthy Muslim) पर अनिवार्य (Obligatory) है।
*कुरआन से प्रमाण (Quranic Evidence)*
1. अल्लाह तआला फरमाते हैं:
"وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ"
(और नमाज़ क़ायम करो और जकात अदा करो) – (सूरह अल-बक़रा: 43)
2. एक और जगह फरमाया:
"خُذْ مِنْ أَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّيهِمْ بِهَا"
(उनके मालों से जकात लो ताकि उन्हें पवित्र कर दो और उनका आत्म शुद्धिकरण करो) – (सूरह अत-तौबा: 103)
*हदीस से प्रमाण (Hadith Evidence)*
1. नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
"इस्लाम की बुनियाद पाँच चीजों पर है: ला इलाहा इल्लल्लाह की गवाही देना, नमाज़ कायम करना, जकात देना, रमज़ान के रोज़े रखना और हज अदा करना।" – (बुखारी, मुस्लिम)
2. हज़रत अली (र.अ) से रिवायत है कि नबी ﷺ ने फरमाया:
"अगर वे जकात देने से इनकार करें तो उनके खिलाफ जिहाद करो।" – (बुखारी, मुस्लिम)
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*3. जकात अनिवार्य होने की शर्तें (Conditions for Zakat Obligation)*
1. मुसलमान होना (Being a Muslim)
2. बालिग़ और समझदार होना (Being Adult & Sane)
3. साहिबे निसाब होना (Possessing the Nisab Amount)
4. माल पर पूरा साल गुजर चुका हो (Completion of One Lunar Year on Wealth)
5. माल ज़रूरत से ज़्यादा हो (Wealth Should Be Beyond Basic Needs)
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*4. विभिन्न प्रकार की संपत्ति पर जकात का निसाब (Nisab of Zakat for Different Wealth Types)*
*1. सोना और चांदी (Gold & Silver)*
सोना (Gold): 7.5 तोला (87.48 ग्राम)
चांदी (Silver): 52.5 तोला (612.36 ग्राम)
जकात की दर (Rate of Zakat): 2.5%
*2. नकद राशि और बैंक बैलेंस (Cash & Bank Savings)*
यदि नकद राशि चांदी के निसाब (612.36 ग्राम चांदी) के बराबर या अधिक हो, तो उस पर 2.5% जकात अनिवार्य है।
*3. व्यापारिक वस्तुएं (Business Goods & Investments)*
जो भी चीज़ व्यापार (Trade) के लिए खरीदी गई हो, उस पर साल के अंत में कुल मूल्य के अनुसार 2.5% जकात देना ज़रूरी है।
*4. कृषि उपज (Agricultural Produce)*
बारिश के पानी या प्राकृतिक स्रोतों (Rain-fed Crops): 10% जकात
सिंचित भूमि (Irrigated Crops): 5% जकात
*5. मवेशी (Livestock, Cattles)*
ऊंट (Camels): 5 ऊंटों पर 1 बकरी
गाय (Cows): 30 गायों पर 1 साल का बछड़ा
बकरी और भेड़ (Goats & Sheep): 40 बकरियां हों तो 1 बकरी जकात में देनी होगी
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*5. जकात के हकदार (Eligible Recipients of Zakat)*
कुरआन में आठ प्रकार के लोगों को जकात के हकदार ठहराया गया है:
1. गरीब (Poor Person) – जो अपनी बुनियादी जरूरतों से वंचित हो।
2. मिस्कीन (Needy Person) – जो गरीब से भी अधिक जरूरतमंद हो।
3. जकात एकत्र करने वाले कर्मचारी (Zakat Administrators) – जो जकात इकट्ठा और वितरित करते हैं।
4. नये मुसलमान (New Muslims) – जिनके दिलों को इस्लाम से मौहब्बत हो।
5. गुलामों की आज़ादी (Freeing Slaves) – जकात से गुलामों को मुक्त कराया जा सकता है।
6. कर्जदार व्यक्ति (Debtors) – जो कर्ज़ में डूबे हों और चुकाने में असमर्थ हों।
7. अल्लाह के रास्ते में (In the Path of Allah) – सेवा कार्य या इस्लामी शिक्षा व प्रचार के कार्यों में लगे लोग।
8. मुसाफिर (Stranded Travelers) – जो यात्रा में तंगहाल हो जाए और लौटने के लिए साधन न रखता हो।
*कुरआन में फरमाया गया:*
"إِنَّمَا الصَّدَقَاتُ لِلْفُقَرَاءِ وَالْمَسَاكِينِ وَالْعَامِلِينَ عَلَيْهَا وَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوبُهُمْ وَفِي الرِّقَابِ وَالْغَارِمِينَ وَفِي سَبِيلِ اللَّهِ وَابْنِ السَّبِيلِ فَرِيضَةً مِّنَ اللَّهِ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ"
(सूरह अत-तौबा: 60)
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*6. जकात न देने की सज़ा (Punishment for Not Paying Zakat)*
कुरआन में कड़ी चेतावनी (Severe Warning in the Quran)
"जो लोग सोना और चांदी इकट्ठा करते हैं और अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते, उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी दे दो।" – (सूरह अत-तौबा: 34)
हदीस में सख्त सज़ा (Severe Punishment in Hadith)
"जिसने जकात नहीं दी, क़यामत के दिन उसका माल ज़हरीले सांप की शक्ल में आएगा और उसे डसेगा।" – (बुखारी)
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*7. निष्कर्ष (Conclusion)*
जकात एक अनिवार्य इबादत (Obligatory Worship) है जो संपत्ति को शुद्ध (Purifies Wealth) करती है और समाज की भलाई (Social Welfare) में मदद करती है।
जो लोग जकात अदा करते हैं, अल्लाह उनके माल में बरकत देता है, और जो इसे नहीं देते, उनके लिए सख्त अज़ाब की चेतावनी दी गई है।
हर साहिबे निसाब मुसलमान को चाहिए कि वह जकात अदा करने में लापरवाही न करे ताकि वह दुनिया और आख़िरत में सफल हो सके।
21.03.2025
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